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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में तीन गुना वृद्धि की घोषणा की है। आशा कार्यकर्ताओं को अब ₹1,000 के बजाय ₹3,000 प्रतिमाह और ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव ₹300 के बजाय ₹600 मिलेंगे, जिससे 92,000 आशा कार्यकर्ताओं को लाभ होगा। इसके अलावा, 125 यूनिट मुफ्त बिजली, रूफटॉप सोलर योजना, और महिलाओं के लिए 35% नौकरी आरक्षण जैसे फैसले भी लिए गए हैं। ये कदम महिला मतदाताओं को साधने और एंटी-इनकमबेंसी रोकने की रणनीति के तौर पर देखे जा रहे हैं।
नीतीश कुमार की बिहार में सौगातों की बौछार! आशा-ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय तिगुना, मुफ्त बिजली और महिला आरक्षण Picture Courtesy: Wikimedia Commons
बिहार में आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की घोषणा को बड़े फैसले के तौर पर देखा जा रहा है. चुनाव से पहले हुई इस घोषणा को राज्य की आधी आबादी को साधने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. इन सभी की प्रोत्साहन राशि में तीन गुना का इजाफा हुआ है.पहले ₹1000 प्रतिमाह आशा कार्यकर्ता को मिलता था, उसे अब 3000 रूपये प्रतिमाह कर दिया गया है. जबकि ममता कार्यकर्ताओं को प्रति प्रसव मानदेय 300 से बढ़ाकर 600 यानी दोगुना कर दिया गया है. लगभग 92 हजार आशा कार्यकर्ताओं को इसका फायदा मिलेगा. आशा कार्यकर्ताओं को दिया जाने वाला मानदेय प्रोत्साहन राशि के तौर पर होता है.
दरअसल आशा कार्यकर्ताओं की तरफ से लंबे समय से अपने पद को नियमित करने और सरकारी कर्मचारी का दर्जा पाने की मांग होती रही है इन कार्यकर्ताओं के जिम्मे टीकाकरण जैसे अभियान भी होते हैं,लेकिन इन्हें आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है. ऐसे में उनके लिए मानदेय राशि में तीन गुना की बढ़ोतरी बड़े राहत के तौर पर होगी. इसे चुनावी सौगात के तौर पर भी देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से आजकल चुनावी सौगातो की बौछार हो रही है, जिसमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1,100 रुपये करना, 125 यूनिट तक बिजली फ्री करना शामिल है. 1 अगस्त 2025 से हर महीने 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली के फैसले से 1.67 करोड़ परिवार को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा रूफटॉप सोलर योजना और कुटीर ज्योति योजना के। माध्यम से 58 लाख गरीब परिवारों के लिए मुफ्त सोलर पैनल लगाया जा रहा है. महिला सशक्तिकरण पर मुख्यमंत्री का जोर हमेशा से रहा है. सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण का उनका फैसला महिला मतदाताओं को काफी लुभा रहा है. यह आरक्षण केवल बिहार की महिलाओं के लिए ही लागू होगा यानी इसमें सरकार ने डोमिसाइल लागू कर दिया है. इसके अलावा पंचायतों में 50 फीसदी महिला आरक्षण पहले से लागू है. पत्रकारों की पेंशन की राशि भी 6,000 रुपये से बढ़ाकर 15,000 रुपये हर माह कर दिया गया है.मुख्यमंत्री आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज और 70 साल से ऊपर के बुजुर्गों के लिए आयुष्मान कार्ड भी बना दिया गया है. इसके अलावा कई आयोगों के गठन को भी चुनावी सौगात और रेवड़ी के तौर पर देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फ्रीबिज के हमेशा खिलाफ रहे हैं, लेकिन चुनावी साल में उनकी तरफ से की गई ये घोषणाएं एंटी इनकमबेंसी को रोकने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.