2025 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं को लुभाने के लिए पार्टियां बड़े-बड़े वादे कर रही हैं। Photo Credit - CEO Bihar/X
बिहार की राजनीति में महिलाएं अब एक बड़ा वोट बैंक बन गई हैं। यहां महिलाओं की संख्या और उनका वोटिंग पैटर्न चुनावों को प्रभावित करता है। पिछले कुछ चुनावों में महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा रहा है, लेकिन हाल ही में मतदाता सूची में बदलाव से लिंग अनुपात में गिरावट आई है। 2025 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं को लुभाने के लिए पार्टियां बड़े-बड़े वादे कर रही हैं। आइए जानते हैं महिलाओं के प्रतिशत का इतिहास, वर्तमान स्थिति, अनुपात पर प्रभाव, 2025 में वोट बैंक की भूमिका, पार्टियों की कोशिशें और पिछले चुनावों में उनकी भूमिका। साथ ही, बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए चल रही योजनाओं की सूची।
महिलाओं के प्रतिशत का इतिहास
बिहार में महिलाओं का मतदान इतिहास पिछले 15-20 सालों में काफी बदला है। 2010 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 54.49% था, जबकि पुरुषों का 51.12%। 2015 में यह बढ़कर महिलाओं का 60.48% और पुरुषों का 53.32% हो गया। 2020 में महिलाओं ने 59.69% वोट डाले, जबकि पुरुषों ने 54.45%। 2024 के लोकसभा चुनावों में भी महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों से ज्यादा था, खासकर क्योंकि कई पुरुष काम के लिए बाहर चले जाते हैं।
मतदाता सूची में लिंग अनुपात (प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की संख्या) भी बढ़ता रहा। 2024 लोकसभा चुनावों में यह 907 था। महिलाएं कम जाति-धर्म से बंधी होती हैं और विकास योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देती हैं, इसलिए वे एक मजबूत वोट ब्लॉक हैं।
वर्तमान स्थिति और अनुपात पर प्रभाव
2025 के चुनावों से पहले चुनाव आयोग ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) किया, जिसमें मतदाता सूची से 47 लाख नाम हटाए गए। जनवरी 2025 में कुल मतदाता 7.89 करोड़ थे, जो सितंबर 2025 में घटकर 7.42 करोड़ रह गए। पुरुष मतदाताओं में 3.8% (15.5 लाख) की कमी आई, लेकिन महिलाओं में 6.1% (22.7 लाख) की ज्यादा कमी हुई। इससे लिंग अनुपात 907 से गिरकर 892 हो गया।
यह गिरावट क्यों? SIR का मकसद बाहर रहने वाले प्रवासियों (ज्यादातर पुरुष) के नाम हटाना था, लेकिन महिलाओं के नाम ज्यादा कटे। चुनाव आयोग का कहना है कि शादी के बाद महिलाएं दूसरे जगह चली जाती हैं, इसलिए उनके नाम हटे। लेकिन ग्राउंड रिपोर्ट्स बताती हैं कि कई महिलाओं के नाम गलती से हटे, जैसे वे पड़ोसी गांव में शिफ्ट हुईं लेकिन नई जगह रजिस्टर नहीं हुईं। गोपालगंज जैसे जिलों में अनुपात 8.38% गिरा। इससे महिलाओं की भागीदारी कम हो सकती है, जो चुनाव पर असर डालेगी।
2025 में वोट बैंक की भूमिका
2025 के चुनावों में महिलाएं निर्णायक हो सकती हैं। बिहार में कुल मतदाताओं में महिलाओं का हिस्सा करीब 48% है, लेकिन उनका मतदान प्रतिशत ऊंचा होने से वे 'साइलेंट वोटर' हैं। वे जाति से कम प्रभावित होती हैं और सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा जैसी चीजों पर वोट देती हैं। पिछले चुनावों में जहां महिलाओं की संख्या ज्यादा थी, वहां एनडीए को फायदा हुआ। लेकिन अब अनुपात गिरने से एनडीए को नुकसान हो सकता है, क्योंकि नीतीश कुमार की सरकार महिलाओं पर निर्भर है। विपक्ष इसे मौका मान रहा है। सर्वे बताते हैं कि नीतीश कुमार महिलाओं में 32% आगे हैं, लेकिन युवा और महिलाओं का वोट चुनाव बदल सकता है।
पार्टियां कैसे लुभा रही हैं?
सभी पार्टियां महिलाओं को आकर्षित करने में लगी हैं। एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) ने मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की, जिसमें 21 लाख महिलाओं को 10,000 रुपये दिए गए। नीतीश कुमार की रैलियों में महिलाएं ज्यादा दिखती हैं। पीएम मोदी ने इसे 'गेम चेंजर' कहा। विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) ने 'माई बहन मान योजना' का वादा किया, जिसमें गरीब महिलाओं को 2,500 रुपये महीना मिलेंगे। तेजस्वी यादव ने 30,000 रुपये सालाना देने का ऐलान किया। प्रियंका गांधी ने भूमिहीन परिवारों को 3-5 डेसिमल जमीन देने का वादा किया, जिसमें महिलाओं के नाम पर टाइटल होगा। जन सुराज और बीएसपी जैसी पार्टियां भी महिलाओं को ज्यादा टिकट दे रही हैं।
पिछले चुनावों में भूमिका
2020 के विधानसभा चुनावों में महिलाओं ने एनडीए की जीत में बड़ी भूमिका निभाई। 243 सीटों में से 119 में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा थी, और एनडीए ने वहां 72 सीटें (60.5%) जीतीं। महागठबंधन को सिर्फ 42 मिलीं। नीतीश कुमार की महिलाओं के लिए योजनाएं जैसे शराबबंदी, साइकिल योजना और जीविका ने उन्हें समर्थन दिया। पीएम मोदी ने महिलाओं को 'साइलेंट वोटर' कहा और उनकी तारीफ की। 2024 लोकसभा में भी जहां महिलाओं का टर्नआउट ज्यादा था, एनडीए जीता।
बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण की योजनाएं
बिहार सरकार महिलाओं के लिए कई योजनाएं चला रही है। यहां मुख्य योजनाओं की सूची:
- मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना (MMRY): महिलाओं को छोटा कारोबार शुरू करने के लिए 10,000 रुपये सीड मनी। बाद में 2 लाख तक लोन। 2025 में 75 लाख महिलाओं को फायदा।
- मुख्यमंत्री महिला उद्यमी योजना (MMUY): महिलाओं को उद्यम शुरू करने के लिए लोन और ट्रेनिंग। उद्योग विभाग चलाता है।
- जीविका (बिहार ग्रामीण आजीविका परियोजना): स्वयं सहायता समूह (SHG) बनाकर महिलाओं को लोन, ट्रेनिंग और बाजार। 1.4 करोड़ महिलाएं जुड़ीं, 11 लाख SHG।
- मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना: लड़कियों को स्कूल जाने के लिए मुफ्त साइकिल।
- मुफ्त शिक्षा योजना: लड़कियों के लिए मुफ्त शिक्षा और छात्रवृत्ति।
- विधवा और बुजुर्ग पेंशन योजना: विधवाओं और बुजुर्ग महिलाओं को बढ़ी हुई पेंशन।
- शराबबंदी: घरेलू हिंसा कम करने के लिए पूरे राज्य में शराब पर बैन।
- पंचायतों और शहरी निकायों में 50% आरक्षण: महिलाओं को स्थानीय सरकार में हिस्सेदारी।
- लखपति दीदी योजना: 30 लाख महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य। जुलाई 2025 तक 20 लाख पहुंचीं।
- माई बहन सम्मान योजना (विपक्ष का वादा): अगर महागठबंधन जीता तो 2,500 रुपये महीना गरीब महिलाओं को।