उपेन्द्र कुशवाहा ने निशांत कुमार को जेडीयू की नई उम्मीद बताकर नीतीश कुमार पर साधा निशाना! पार्टी और सरकार के संचालन पर उठाए सवाल।

20 जुलाई को निशांत कुमार के जन्मदिन पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने उन्हें जेडीयू की नई उम्मीद बताकर सियासी हलचल मचा दी। उन्होंने नीतीश कुमार से आग्रह किया कि वे सरकार और पार्टी का एक साथ संचालन छोड़कर निशांत को पार्टी की जिम्मेदारी सौंपें, अन्यथा जेडीयू को अपूरणीय नुकसान हो सकता है। कुशवाहा के इस बयान ने जेडीयू के भीतर मतभेदों को उजागर किया, जिसे कुछ नेता समर्थन और कुछ दखलंदाजी मान रहे हैं।

By : Bihar Talks | Posted On : 08-Sep-2025

उपेंद्र कुशवाहा ने निशांत कुमार को बताया जेडीयू का भविष्य! नीतीश पर सियासी तंज. Photo Credit- Wikimedia Commons/ GODL-India

lightning news

20 जुलाई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार के जन्मदिन के मौके पर उनके परिवार वालों के अलावा कई नेताओं ने बधाई दी. लेकिन सबसे अलग बधाई देने का अंदाज राष्ट्रीय लोक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा का था. उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया के माध्यम से निशांत कुमार को जन्मदिन पर बधाई तो दी लेकिन उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर उन्हें जेडीयू का भविष्य बता दिया.

उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने पोस्ट में लिखा है कि "मीडिया/सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि आज बड़े भाई आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी के सुपुत्र निशांत का जन्मदिन है।

खुशी के इस अवसर पर जेडीयू की नई उम्मीद निशांत को जन्म दिन की ढेर सारी शुभकामनाएं। ईश्वर उसे हमेशा स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रखें।

इस अवसर पर आदरणीय श्री नीतीश कुमार जी से अति विनम्र आग्रह है कि समय और परिस्थिति की नजाकत को समझते हुए इस सच को स्वीकार करने की कृपा करें कि अब सरकार और पार्टी दोनों का (साथ-साथ) संचालन स्वयं उनके लिए भी उचित नहीं है। सरकार चलाने का उनका लंबा अनुभव है जिसका लाभ राज्य को आगे भी मिलता रहे, यह फिलहाल राज्य हित में अतिआवश्यक है। परन्तु पार्टी की जवाबदेही के हस्तांतरण (जो वक्त मेरी ही नहीं स्वयं उनकी पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं/नेताओं की राय में अब आ चुका है) के विषय पर समय रहते ठोस फैसला ले लें। यही उनके दल के हित में है। और इसमें विलंब दल के लिए अपूर्णीय नुकसान का कारण बन सकता है। शायद ऐसा नुकसान जिसकी भरपाई कभी हो भी नहीं पाये।

(नोट - मैं जो कुछ कह रहा हूं, जदयू के नेता शायद मुख्यमंत्री जी से कह नहीं पाएंगे और कुछ लोग कह भी सकते हों, तो वैसे लोग वहां तक पहुंच ही नहीं पाते होंगे।)"

उपेंद्र कुशवाहा के पोस्ट के बाद सियासी हलकों में खलबली मच गई. खासतौर से उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू के भीतर के मतभेद को उभारने की कोशिश की है.

उनका बयान जेडीयू के एक तबके को भा रहा है, जबकि दूसरा तबका इन बयानों से असहज है और इसे पार्टी के आंतरिक मामलों में दूसरे दल के व्यक्ति की दखलंदाजी के तौर पर देख रहा है.

कुशवाहा की बातों पर गौर करें तो उन्होंने निशांत कुमार को जेडीयू की नई उम्मीद बताया है. इस तरह की मांग जेडीयू के भी बहुत सारे नेता कर रहे हैं. उनका कहना है कि निशांत कुमार को नीतीश कुमार का उत्तराधिकारी घोषित करना चाहिए. कुशवाहा ने नीतीश कुमार से आग्रह करते हुए सरकार और पार्टी दोनों का साथ-साथ संचालन करना उनके लिए मुश्किल बता दिया है.

इस बयान को भी राजनीतिक गलियारों में दो अर्थों में देखा जा रहा है. पहला मतलब निकाला जा रहा है कि निशांत को जेडीयू में सक्रिय भूमिका में लाकर उन्हें पार्टी में नंबर दो बना दिया जाए.

लेकिन इसका दूसरा मतलब भी है. नीतीश कुमार से सरकार और पार्टी साथ-साथ नहीं चल पाने वाला संदेश भी इस पोस्ट में छिपा है. उन्होंने उनकी क्षमता पर भी सवाल खड़ा कर दिया है. ऐसे में दूसरा अर्थ नीतीश कुमार पर निशाने के तौर पर भी लिया जा रहा है.

कुशवाहा ने जेडीयू के भीतर की खींचतान को उभारने की कोशिश की है. उनके बयानों से ऐसा लग रहा है कि जेडीयू के भीतर मतभेद हैं या उस बात को वो हवा देने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि मैं जो कुछ भी कह रहा हूं जेडीयू के नेता शायद मुख्यमंत्री जी से कह नहीं पाएंगे.

ऐसा कहकर उपेंद्र कुशवाहा ने उन लोगों पर सवाल खड़ा किया है जो कि नीतीश कुमार के करीबी बताए जाते हैं. उन्होंने सीधे तौर पर बिना नाम लिए उन लोगों पर निशाना साधा है. दूसरी तरफ उन्होंने कहा है कि जो लोग नीतीश कुमार से निशांत की एंट्री को लेकर बोल भी सकते हैं तो वैसे लोग नीतीश कुमार के पास पहुंच भी नहीं सकते हैं.

उपेंद्र कुशवाहा भले ही इसे अपनी निजी राय बता रहे हों और इसे जेडीयू का आंतरिक मामला बता रहे हों,लेकिन पोस्ट में लिखे गए उनके एक-एक शब्द उनकी राजनीति और रणनीति की ओर इशारा कर रहे हैं. ऐसा कह कर जेडीयू के भीतर वे उन लोगों का समर्थन और सहानुभूति लेना चाहते हैं जो नीतीश के बाद कौन के सवाल पर निशांत कुमार में अपना और जेडीयू का भविष्य तलाश रहे हैं.

उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार का रिश्ता दशकों पुराना है, जो दोस्ती और राजनीतिक टकराव के मिले- जुले रिश्ते में के तौर पर देखा जाता रहा है. 1980 के दशक में कुशवाहा ने नीतीश के साथ समता पार्टी में काम शुरू किया, जहां "लव-कुश" (कुर्मी-कोएरी) जोड़ी खूब चर्चित थ. 2000 में कुशवाहा जंदाहा से विधायक बने और 2004 में नीतीश के समर्थन से बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. 2005 में हार और सरकार में जगह न मिलने से नाराज होकर उन्होंने जेडीयू छोड़ दी और एनसीपी में शामिल हुए, लेकिन 2009 में नीतीश के बुलावे पर जेडीयू में लौटे और 2010 में राज्यसभा सांसद बने. 2013 में नीतीश के एनडीए छोड़ने के बाद कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) बनाई, 2014 में काराकट से सांसद बने और केंद्रीय मंत्री बने. 2018 में वे महागठबंधन में शामिल हुए, लेकिन 2019 में हार के बाद 2021 में आरएलएसपी का जेडीयू में विलय कर दिया. 2023 में नीतीश द्वारा तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा से नाराज होकर कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) बनाया और एनडीए में शामिल होकर काराकाट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन कुशवाहा 2024 का चुनाव हार गए. उसके बाद वे राज्यसभा सांसद बनाए गए.वर्तमान में कुशवाहा एनडीए के साथ हैं, लेकिन नीतीश के साथ उनका रिश्ता व्यक्तिगत सम्मान और राजनीतिक प्रतिस्पर्धा वाला रहा है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उनका बयान विशुद्ध सियासी बयान है जिसे उन्होंने सोच समझकर दिया है.

lightning news
संबंधित ख़बरें
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
वायरल खबरें
bihar-cm-nitish-kumar-inspected-park-being-built-on-jp-ganga-path
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेपी गंगा पथ पार्क और गंगा नदी के जलस्तर का लिया जायजा
modi-gaya-rally-13000-crore-projects-inauguration-2025
बिहार चुनावी जंग का आग़ाज़! मोदी की सौगातों की झड़ी और आरजेडी कांग्रेस पर तीखे तंज
bihar-political-rivalry-nitish-kumar-bjp-alliance-rjd-mla-poaching-nda-ticket-controversy-2025
बाहुबली विधायक के पाले बदलने से मंत्रियों में ठनी, टिकट की जंग में बड़े नेता का दबाव?
Advertisement
Advertisement