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चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव: आशा - ममता मानदेय में तीन गुना इजाफा, मुक्त बिजली और सोलर योजना की सौगात
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 2 सितंबर को हुई बिहार कैबिनेट की बैठक में 49 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। शिक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण विभाग के 40 आवासीय विद्यालयों में 1800 नए पदों का सृजन किया गया। इसके अलावा, 7 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने और शारीरिक शिक्षा प्रशिक्षकों का मानदेय दोगुना करने का फैसला लिया गया। बिहार की साक्षरता दर 61.8% होने के बावजूद नीतीश सरकार ने NEP 2020 को लागू कर डिजिटल और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार पर जोर दिया है।
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कैबिनेट की ओर लगातार बड़े फैसले लिए जा रहे हैं. Photo Credit- Nitish Kumar / X
चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से सौगातों की बौछार की जा रही है. बिहार की जनता के लिए लोक लुभावन वादे और तोहफों का पिटारा खोल दिया गया है. इसी कड़ी में मंगलवार दो सितंबर को बिहार कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में 49 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है.इनमें शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले शामिल हैं. शिक्षा और खास तौर से स्कूली शिक्षा को लेकर नीतीश कुमार का फोकस सबसे ऊपर है.अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के 40 आवासीय विद्यालयों में 1800 नए शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक पदों का सृजन करने का फैसला किया गया है. कैबिनेट की बैठक में इसके अलावा, कला एवं संस्कृति विभाग में 25 नए पदों की स्वीकृति दी गई. 7 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना को लेकर भी चर्चा हुई है. कैबिनेट की बैठक में शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य प्रशिक्षकों का मानदेय दोगुना करने का फैसला भी लिया गया, जो पहले 8,000 रुपए था.
नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद से बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में काफी काम हुआ है. फिर भी 2025 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य की साक्षरता दर देश में सबसे कम है, जो लगभग 61.8% है.
बिहार स्कूल एजुकेशन पॉलिसी 2025 के तहत व्यावसायिक प्रशिक्षण को स्कूल पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है, जो NEP 2020 के मुताबिक है.
हालांकि, विपक्षी दलों का आरोप है कि नीतीश सरकार के तहत शिक्षा व्यवस्था खराब हो गई है. गौरतलब है कि बजट आवंटन वित्तीय वर्ष 2025-26 में ₹60,954 करोड़ किया गया है लेकिन, विपक्षी दलों का आरोप है कि बजट की राशि बढ़ाने के बावजूद धन का सही उपयोग नहीं हो रहा है.
इसके अलावा पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति और मुफ्त शिक्षा योजनाएं भी चल रही हैं.
बिहार विधानसभा का चुनाव इस अक्टूबर-नवंबर में होना तय है. लेकिन उसके पहले नीतीश कुमार की अगुआई में बिहार कैबिनेट के ये सभी फैसले चुनाव से पहले की रणनीति मानी जा रही है.