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बिहार विधानसभा चुनाव 2025: एग्जिट पोल्स में एनडीए की स्पष्ट बढ़त, महागठबंधन पिछड़ा
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: दूसरे चरण में कल 122 सीटों पर वोटिंग, 1302 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर
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बिहार चुनाव 2025 में राघोपुर, महुआ, बांकीपुर, तारापुर और सरायरंजन जैसी हॉट सीटों पर कांटे की टक्कर। तेजस्वी यादव, तेजप्रताप, सम्राट चौधरी और नितिन नवीन जैसे दिग्गजों की किस्मत दांव पर। जन सुराज की एंट्री से वोट बंटवारे की चिंता, जाति गणित और विकास मुद्दे तय करेंगे नतीजे। 6-11 नवंबर को वोटिंग, 14 को रिजल्ट!
दिग्गजों की जंग इन हॉट सीटों पर! राघोपुर-तारापुर पर नजरें टिकीं। जन सुराज बिगाड़ेगी गणित
बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस बार एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला काफी रोचक होने वाला है। जन सुराज पार्टी की एंट्री से दोनों गठबंधनों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। चुनाव दो चरणों में होंगे- पहला 6 नवंबर को और दूसरा 11 नवंबर को। नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जहां सबकी नजरें टिकी हुई हैं। इन पर उपमुख्यमंत्री, मंत्री और बड़े नेता मैदान में हैं। आइए जानते हैं इन मुख्य सीटों के बारे में।
वैशाली जिले की राघोपुर सीट आरजेडी के लिए पारंपरिक गढ़ है। यहां से तेजस्वी यादव (आरजेडी, महागठबंधन) चुनाव लड़ रहे हैं। उनके खिलाफ बीजेपी के सतीश कुमार यादव और जन सुराज के चंचल सिंह हैं। 2020 में तेजस्वी ने यहां 38 हजार वोटों से जीत हासिल की थी। वजह थी यादव-मुस्लिम वोटों का मजबूत समर्थन और युवाओं का साथ। इस बार जन सुराज वोट काट सकती है, लेकिन तेजस्वी की नौकरी वाली वादे और जाति जनगणना का मुद्दा फायदा दे सकता है। महागठबंधन ने तेजस्वी को इसलिए चुना क्योंकि वे विपक्ष के नेता हैं और सीएम चेहरे के रूप में लोकप्रिय हैं।
वैशाली की ही महुआ सीट पर तेजप्रताप यादव (जनशक्ति जनता दल, निर्दलीय) मैदान में हैं। आरजेडी ने मुकेश कुमार रोशन को टिकट दिया है, जो 2020 में यहां से जीते थे। एनडीए से संजय कुमार सिंह (एलजेपी-आरवी) और जन सुराज से इंद्रजीत प्रधान हैं। 2020 में मुकेश ने 13 हजार वोटों से जीत दर्ज की, वजह थी आरजेडी की मजबूत यादव आधार और स्थानीय विकास कार्य। इस सीट पर परिवार की लड़ाई है, जो महागठबंधन की एकता को चुनौती दे रही है। मुकेश को इसलिए चुना गया क्योंकि वे मौजूदा विधायक हैं और स्थानीय मुद्दों पर पकड़ रखते हैं। बाढ़ और जलवायु जैसे मुद्दे इस बार असर डाल सकते हैं।
पटना की बांकीपुर सीट पर बीजेपी के मंत्री नितिन नवीन चौथी बार जीतने की कोशिश में हैं। महागठबंधन से रेखा कुमारी और जन सुराज से वंदना कुमारी हैं। 2020 में नितिन ने 39 हजार वोटों से जीत हासिल की, वजह थी शहरी ऊपरी जातियों का समर्थन और विकास परियोजनाएं। यह सीट एनडीए के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। महागठबंधन ने रेखा को इसलिए चुना क्योंकि वे महिला हैं और ईबीसी पृष्ठभूमि से आती हैं, जो महिलाओं और युवाओं को आकर्षित कर सकती हैं। शहर में बेरोजगारी और मेट्रो जैसी परियोजनाओं की देरी एनडीए को नुकसान पहुंचा सकती है।
मुंगेर जिले की तारापुर सीट पर बीजेपी के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी लड़ रहे हैं। महागठबंधन से आरजेडी के अरुण कुमार हैं। 2020 में जेडीयू के मेवालाल चौधरी ने 7 हजार वोटों से जीत दर्ज की, वजह थी कुशवाहा-ईबीसी वोटों का एकजुट होना और नीतीश की योजनाएं। इस बार वीआईपी उम्मीदवार सकलदेव बिंद के बीजेपी में शामिल होने से एनडीए मजबूत हुआ है। महागठबंधन ने अरुण को इसलिए चुना क्योंकि वे स्थानीय हैं और ईबीसी-मुस्लिम वोटों पर पकड़ रखते हैं। प्रवासन और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दे प्रभाव डाल सकते हैं।
समस्तीपुर की सरायरंजन सीट पर जेडीयू के मंत्री विजय कुमार चौधरी चौथी बार मैदान में हैं। महागठबंधन से आरजेडी के अरविंद सहनी हैं। 2020 में विजय ने सिर्फ 3 हजार वोटों से जीत हासिल की, वजह थी उनकी पुरानी पकड़ और जेडीयू की कोएरी-कुशवाहा आधार। महागठबंधन ने अरविंद को इसलिए चुना क्योंकि वे 2020 में करीब से हारे थे और अब मजबूत चुनौती दे सकते हैं। विजय की उम्र और ईबीसी आरक्षण का मुद्दा आरजेडी को फायदा दे सकता है। अन्य महत्वपूर्ण सीटें
पटना साहिब पर अगर सीएम नीतीश कुमार लड़ते हैं, तो यह और भी हॉट हो जाएगी। मुंगेर में जन सुराज के प्रशांत किशोर की एंट्री से त्रिकोणीय मुकाबला है। शियोहर जैसी सीटें मुस्लिम-यादव वोटों पर निर्भर हैं।