गलतियों से सबक क्यों नहीं ले रही कांग्रेस? ये गलती उसकी उम्मीदों पर पानी फेर देगी!
अब पिछली नहीं, बगल की सीट पर बैठ बिहार में साथ चलेगी कांग्रेस, राहुल- तेजस्वी की यात्रा से मिला साफ संदेश !
बिहार डिप्टी सीएम विजय सिन्हा पर दो वोटर आईडी का आरोप, तेजस्वी यादव ने कसा तंज, चुनाव आयोग ने जारी किया नोटिस
बिहार कैबिनेट ने डोमिसाइल नीति को दी मंजूरी, शिक्षक भर्ती में 98% बिहारियों को प्राथमिकता; 36 प्रस्ताव पास
तेजस्वी यादव पर दोहरे वोटर आईडी विवाद को लेकर चुनाव आयोग की सख्ती, जांच शुरू
चुनाव से पहले नीतीश का बड़ा दांव: आशा - ममता मानदेय में तीन गुना इजाफा, मुक्त बिजली और सोलर योजना की सौगात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त 2025 को औटा-सिमरिया पुल का उद्घाटन किया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे। उद्घाटन के बाद दोनों नेताओं ने एकजुटता का संदेश देते हुए हाथ उठाकर जनता का अभिवादन किया। यह तस्वीर उन अटकलों को खारिज करती है, जिसमें चुनाव बाद बीजेपी और जेडीयू के रिश्तों में बदलाव की बात कही जा रही थी। मोदी और नीतीश की यह केमिस्ट्री बिहार के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक बनी।
औटा-सिमरिया पुल उद्घाटन में गठबंधन का संदेश. Photo Credit - Narendra Modi
उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला औटा- सिमरिया पुल का उद्घाटन करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में थे. साथ में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे. इस दौरान जो हुआ उसे देखकर सभी कयासों पर विराम लग गया.
कहते हैं तस्वीरें बिना बोले बहुत कुछ बोल जाती हैं, बहुत कुछ जता देती हैं. कुछ ऐसा ही देखने को मिला जब पुल का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोगों का अभिवादन स्वीकार कर रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 अगस्त 2025 को इस ऐतिहासिक मौके पर लोगों के सामने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हाथ पकड़ कर आसमान की तरफ उठाया, दोनों की बेहतर बॉन्डिंग और केमिस्ट्री के माध्यम से एक संदेश देने की कोशिश भी की.
संदेश साफ छिपा था कि हम साथ -साथ हैं. यानी केंद्र की सरकार का पूरा समर्थन और सहयोग राज्य की सरकार को है. नीतीश कुमार के पीछे नरेंद्र मोदी खड़े हैं. इस तस्वीर ने उन तमाम अटकलों पर भी लगाम लगाने की कोशिश की जिसमें कहा जा रहा था कि चुनाव बाद बीजेपी कुछ अलग कर सकती है, महाराष्ट्र की तर्ज पर यहां भी खेल हो सकता है. लेकिन इस तस्वीर ने उन कयासों पर पानी फेरने का काम किया है. एकजुटता का संदेश दिया है, दरअसल नरेंद्र मोदी- नीतीश कुमार के रिश्ते काफी खट्टे मीठे रहे हैं.
मोदी विरोध के नाम पर नीतीश 2013 में अलग हो गए थे, लेकिन 2017 में फिर साथ हो गए. दोबारा 2022 में अलग हुए, फिर पिछले लोकसभा चुनाव के ठीक पहले आ गए. अब तो कहते नहीं थकते कि हम इधर-उधर जाने वाले नहीं हैं.लेकिन इस तस्वीर के पीछे एक और पुरानी कहानी छपी है जब लुधियाना की रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री रहते शिरकत करते हुए नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़ कर अचानक उठा दिया था. नीतीश कुमार असहज हो गए थे. नरेंद्र मोदी की हिंदुत्व वाली छवि से अपने आप को अलग करना चाहते थे लेकिन मोदी ने हाथ पकड़ कर एनडीए की रैली में सार्वजनिक मंच से ऐसी तस्वीर और संदेश दिया जो कई सालों तक नीतीश कुमार को चुभ रहा था.हुआ यूं था जब 2010 में लुधियाना में एनडीए की रैली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के घटक दल जेडीयू के नेता के रूप में शिरकत करने पहुंचे हुए थे.
इस रैली में गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते नरेंद्र मोदी भी गए थे. मंच पर नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़कर अचानक उठा दिया था. मोदी ने संदेश देने की कोशिश की थी उनके नीतीश कुमार के साथ बेहद अच्छे रिश्ते हैं. लेकिन नीतीश कुमार को यह पसंद आया नहीं. कहा जाता है कि लुधियाना की इसी तस्वीर वाले विज्ञापन के पटना के अखबारों में छपने के बाद नाराज नीतीश कुमार ने 2010 में बीजेपी का डिनर रद्द कर दिया था. बीजेपी की पटना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी हो रही थी, लेकिन, नीतीश कुमार ने सभी सदस्यों के लिए बुलाए गए डिनर को कैंसिल कर दिया. लेकिन, हालत आज इस कदर बदल गए हैं कि उसी अंदाज में अब नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार का हाथ पकड़ा तो इसे बिहार के उज्ज्वल भविष्य के लिए बेहतरीन केमेस्ट्री के तौर पर देखा जा रहा है.