हाजीपुर वैशाली, बिहार, 4 अक्टूबर 2025: विजन इंडिया के वासुदेवपुर चपुता कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम ने बिहार में रोजगार और कौशल विकास की नई उम्मीदें जगाई हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने इस अवसर पर कहा कि "रोजगार ही विकसित बिहार की नींव है।" उन्होंने युवाओं और महिलाओं को हुनरमंद बनाकर स्थानीय स्तर पर नौकरी देने के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत लाभार्थियों को नियुक्ति पत्र और महिलाओं को "महिला शक्ति सराहना पत्र" वितरित किए गए। राय ने कहा कि जब लोग अपने गांव में ही कौशल सीखकर रोजगार पाते हैं, तो इससे परिवार, समाज और पूरे बिहार को मजबूती मिलती है। मौके पर विज़न इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी विवेक कुमार ने कहा कि उनका उद्देश्य हमेशा से स्किल लोकल, एम्प्लॉय लोकल का रहा है। इसी वास्ते वह ग्रामीण युवाओं को हुनरमंद बना रहे हैं। कार्यक्रम में स्थानीय विधायक अवधेश सिंह, विज़न इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी विवेक कुमार, आदि मौजूद थे।
विजन इंडिया की भूमिका
विजन इंडिया ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाई है। संगठन का लक्ष्य "स्किल लोकल, एम्प्लॉय लोकल" है, जिसके तहत ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को उनके क्षेत्र में ही प्रशिक्षण और नौकरी के अवसर दिए जा रहे हैं। विजन इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवेक कुमार ने बताया कि उनकी पहल ने विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाया है।
बिहार में रोजगार की स्थिति
2024-25 के पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, बिहार में बेरोजगारी दर 3.9% है, जो देश के औसत 3.2% से थोड़ा ज्यादा है। काम करने की इच्छा रखने वालों की दर (LFPR) 43.4% है, जो देश के 56% से कम है। इसका मतलब है कि बिहार में बहुत से लोग काम की तलाश में हैं, लेकिन नौकरी नहीं मिल रही। खासकर 15-29 साल के युवाओं में बेरोजगारी 14.6% है। 13 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले इस राज्य में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं, और बाहर जाकर नौकरी ढूंढते हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के अनुसार, बिहार में बेरोजगारी दर 11.4% तक हो सकती है, जो अलग-अलग सर्वे के कारण है।
दूसरे राज्यों से तुलना
बिहार की बेरोजगारी दर गुजरात (2.5%) और मध्य प्रदेश (2.8%) से ज्यादा है, लेकिन हरियाणा (5.2%) और जम्मू-कश्मीर (6.1%) से कम है। मध्य प्रदेश में 62% लोग काम की तलाश में हैं, जबकि बिहार में यह सिर्फ 43.4% है। इसका मतलब है कि बिहार को नौकरी के नए अवसर बनाने की जरूरत है, खासकर खेती से इतर क्षेत्रों में।
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राज्य/केंद्र शासित प्रदेश
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बेरोजगारी दर (PLFS 2024-25)
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बेरोजगारी दर (CMIE 2025)
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LFPR (%)
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बिहार
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3.9%
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11.4%
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43.4
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राष्ट्रीय औसत
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3.2%
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4.9%
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56
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गुजरात
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2.5%
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3.9%
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58
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मध्य प्रदेश
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2.8%
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4.2%
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62
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हरियाणा
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5.2%
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22.9%
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52
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जम्मू-कश्मीर
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6.1%
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17.8%
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45
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स्रोत: PLFS/MoSPI, CMIE, नीति आयोग।
सकारात्मक बदलाव
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हाल के वर्षों में 10 लाख से ज्यादा सरकारी नौकरियां दी गई हैं, खासकर शिक्षा क्षेत्र में।
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ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-खेती रोजगार बढ़ रहे हैं, जिससे बाहर जाने वालों की संख्या कम हो रही है।
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2023-24 में बिहार की अर्थव्यवस्था 9.2% की दर से बढ़ी, जो रोजगार के लिए अच्छा संकेत है।
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महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है; 2017-18 में 4.11% थी, जो 2023-24 में 30.5% हो गई।
महिलाओं का रोजगार
2023-24 में बिहार में महिलाओं की काम करने की दर (LFPR) 30.5% है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में 35% और शहरों में 15.5% है। ज्यादातर महिलाएं स्व-रोजगार करती हैं (71.6%)। देश का लक्ष्य है कि 2030 तक नई नौकरियों में 50% से ज्यादा महिलाएं हों, जिससे बिहार में भी यह दर 40-45% तक जा सकती है। बिहार सरकार की 35% सरकारी नौकरी आरक्षण और महिला रोजगार योजना इस दिशा में मदद कर रही हैं।
केंद्र और राज्य सरकार की पहल
केंद्र सरकार की योजनाएं
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प्रधानमंत्री विकसित भारत रोजगार योजना: 1 लाख करोड़ रुपये से पहली बार नौकरी पाने वालों को मदद, जिसमें बिहार के नियोक्ताओं को EPFO प्रोत्साहन मिलता है।
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प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना: 18 पारंपरिक कामों के लिए प्रशिक्षण, उपकरण और ऋण; जनवरी 2025 तक 27 लाख लोग जुड़े, 2027-28 तक 30 लाख का लक्ष्य।
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मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना: सितंबर 2025 में शुरू, 75 लाख महिलाओं को स्व-रोजगार के लिए 10,000 रुपये दे रही है।
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4 अक्टूबर 2025: पीएम मोदी ने 62,000 करोड़ रुपये की योजनाएं शुरू कीं, जिसमें बिहार में नई स्किल यूनिवर्सिटी और 100 आईटीआई अपग्रेडेशन शामिल हैं।
बिहार सरकार की योजनाएं
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मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना: सितंबर 2025 में विस्तार, 20-25 साल के बेरोजगार स्नातकों को 1,000 रुपये मासिक और मुफ्त प्रशिक्षण।
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बिहार डोमिसाइल पॉलिसी (अगस्त 2025): शिक्षक नौकरियों में 98% स्थानीय लोगों को प्राथमिकता, ताकि प्रवासन कम हो।
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2030 तक 1 करोड़ नौकरियां/रोजगार अवसर, जिसमें अगस्त 2025 तक 12 लाख सरकारी नौकरियां।
कौशल विकास की स्थिति
बिहार में हर साल 5-6 लाख युवाओं को 500 से ज्यादा केंद्रों में प्रशिक्षण मिलता है, लेकिन यह काफी नहीं है। सिर्फ 47% प्रशिक्षित स्नातक नौकरी पा रहे हैं।
पहल
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केंद्र: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (NSDC), और राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप योजना (NAPS) बिहार में सक्रिय हैं।
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राज्य: बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन (BSDM) का कुशल युवा कार्यक्रम (KYP) 1 लाख से ज्यादा युवाओं को IT और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करता है।
प्रभाव
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2020 से अब तक 2-3 गुना ज्यादा युवा नौकरी पा रहे हैं।
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विश्वकर्मा योजना से ग्रामीण कारीगरों की आय 20-30% बढ़ी।
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महिलाओं का कौशल प्रशिक्षण 40% बढ़ा, जिससे उनकी काम की दर बढ़ी।
भविष्य की योजनाएं
स्थानीय कौशल और रोजगार को बढ़ावा
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विश्वकर्मा योजना: सितंबर 2025 में बोधगया में 5,000 से ज्यादा कारीगरों को प्रशिक्षण और MSME ऋण।
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डोमिसाइल भर्ती: शिक्षा और स्वास्थ्य में 90% नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए।
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प्रवासी प्रोत्साहन: बाहर से लौटने वालों को 50,000-1 लाख रुपये का अनुदान और टियर-2/3 शहरों में को-वर्किंग जोन।
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ग्रामीण बीपीओ और ग्रीन स्किल्स पर जोर, जो 1 करोड़ नौकरी लक्ष्य का हिस्सा है।