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चिराग पासवान की जेपी नड्डा से मुलाकात: बिहार की कानून-व्यवस्था पर सवाल, सीट बंटवारे पर जोरदार चर्चा और नवसंकल्प महासभा के जरिए एनडीए को मजबूती देने की रणनीति
प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ
17 जुलाई दोपहर बाद तीन बजे एलजेपी रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री चिराग पासवान बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित आवास पहुंचे. लगभग आधे घंटे तक चली मुलाकात के बाद चिराग ने कुछ कहा नहीं, लेकिन,चर्चा जोर-शोर से शुरू हुई कि चिराग सीट बंटवारे पर बात करने आए हैं. सूत्रों ने साफ किया कि चिराग पासवान ने इस मुलाकात के दौरान सीट बंटवारे पर भी मजबूती से अपनी बात रखी और बिहार की कानून- व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा किया. इसके अलावा हर प्रमंडल में अपनी पार्टी की तरफ से होने वाले नवसंकल्प महासभा के बारे में भी बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष को बताया.
पहले बात बिहार की कानून व्यवस्था और सरकार पर उठाए सवाल पर की जाए तो
चिराग पासवान ने इस मुलाकात के तुरंत बाद एक बार फिर x पर पोस्ट कर पटना के एक निजी अस्पताल में फिल्मी अंदाज में हुई हत्या को लेकर सवाल खड़ा किया. एक बार फिर से निशाने पर बिहार का पुलिस -प्रशासन था. चिराग ने नड्डा के साथ भी इस मुद्दे को उठाया. चिराग के इस तेवर ने एक तरफ जहां जेडीयू को सकते में ला दिया है, वहीं दूसरी तरफ बिहार में जेडीयू के साथ सरकार चला रही बीजेपी को भी चिंता में डाल दिया है. हालांकि, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की तरफ से चिराग की चिताओं का समाधान करने की कोशिश की गई और पूरा भरोसा भी दिया गया. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा चिराग पासवान के कानून व्यवस्था पर उठाए गए सवालों से सहमत भी थे और कहा कि सरकार गंभीर रूख अपनाएगी. चिराग का तर्क है, विधानसभा चुनाव में इससे एनडीए को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
दूसरी तरफ बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर भी चिराग ने अपनी बात मजबूती से रखी. जे पी नड्डा ने उनके हितों का ख्याल रखते हुए सम्मानजनक समझौते का वादा किया. दरअसल चिराग पासवान सीट शेयरिंग को लेकर काफी आक्रामक रूप अख्तियार किए हुए हैं. वह सम्मानजनक समझौता चाहते हैं.सूत्र बताते हैं कि चिराग पासवान 40 से 45 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं,जबकि बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी उन्हें 25 से ज्यादा सीट देने के मूड में नहीं है. हालांकि, बीजेपी ने शुरुआत में 20 से 21 सीटों की ही पेशकश की थी. चिराग की चिंता है कहीं बीजेपी और जेडीयू दोनों बड़े घटक दल 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव न लड़ें, जिसकी संभावना ज्यादा दिख रही है. ऐसी सूरत में 200 के बाद बची हुई लगभग 43 सीट ही सहयोगी दलों के खाते में जाएगी. इनमें से चिराग पासवान के अलावा जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी है जिन्हें एडजस्ट करना है. यही वजह है कि चिराग प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए बीजेपी पर अपना दबाव बनाए हुए हैं. लेकिन इसके लिए निशाने पर जेडीयू और बिहार की नीतीश सरकार को ले रहे हैं.
इसके अलावा,नव संकल्प महासभा का आयोजन कर चिराग पासवान ने दबाव और बढ़ा दिया है. ये अलग बात है कि उनकी तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि इस महासभा के आयोजन से हर प्रमंडल में केवल एलजेपी रामविलास की ही ताकत नहीं बढ़ेगी बल्कि पूरे एनडीए को मजबूती मिलेगी. इन सभाओं में खुद विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर और सभी 243 सीटों पर तैयारी की बात कर वह अपने कार्यकर्ताओं में उत्साह भर रहे हैं.लेकिन संदेश जा रहा है चिराग कहीं 2020 दोहराने की तैयारी में तो नहीं ? हालांकि चिराग पासवान ने जेपी नड्डा से एनडीए की मजबूती के लिए ही ऐसी सभा करने का वादा किया है. 19 जुलाई को केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के लोकसभा क्षेत्र मुंगेर में चिराग ऐसी ही जनसभा करने जा रहे हैं.उसके पहले नड्डा से मुलाकात अहम मानी जा रही है.
बीजेपी भी इस बार फूंक- फूंक कर कदम रख रही है. 2020 के विधानसभा चुनाव की याद बीजेपी और जेडीयू दोनों के जेहन में है. लिहाजा, बीजेपी अभी से ही चिराग को साधने और समझने की कोशिश में है. इसी कड़ी में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हुई है.इसके पहले 22 अप्रैल को दिल्ली में नड्डा और चिराग की मुलाकात हुई थी. लेकिन सूत्र बता रहे हैं अभी एक हफ्ते पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी चिराग की मुलाकात हुई थी.इसमें चिराग ने अपनी बातें खुलकर कही थी.
सूत्रों के मुताबिक 8 जुलाई को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी केंद्रीय मंत्री ललन सिंह और जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा की मुलाकात हुई थी. देर रात तक चली इस मुलाकात में बिहार की कानून व्यवस्था समेत चिराग पासवान को लेकर भी चर्चा हुई थी. इस बैठक में मोटे तौर पर संभावित सीट शेयरिंग पर भी प्रारंभिक दौर की बात हुई थी. चिराग के लगातार हमले से जेडीयू परेशान है और बीजेपी असहज.दोनों की चिंता इस बात को लेकर है कि चिराग के मन में कुछ और तो नहीं चल रहा है ? इसके अलावा, जेडीयू के अंदर खाने ये भी चर्चा है कि चिराग किसके इशारे पर ऐसा कर रहे हैं. कहीं नीतीश कुमार को फिर से कमजोर करने की कोशिश तो नहीं है? जिसमें चिराग सिर्फ एक मोहरा हैं. इसी कवायद में बीजेपी आलाकमान की सक्रियता को दिखा जा रहा है. जो विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश और चिराग दोनों को साधने की कोशिश कर रही है.