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नीतीश कुमार के बीजेपी गठबंधन के बाद बिहार की सियासत में दो बड़े नेताओं की अदावत उभरी, बाहुबली विधायक को टिकट का वादा और कैबिनेट में टकराव ने सियासी हलचल तेज कर दी!
यह एक प्रतीकात्मक छवि है
आजकल सियासी गलियारे में बिहार के दो बड़े नेताओं के बीच कि अदावत की जबरदस्त चर्चा है. दोनों एक ही समाज से आते हैं. दरअसल हुआ यूं है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ आने के बाद फिर से बहुमत साबित करना पड़ा. इस दौरान चर्चा इस बात की तेज थी कि आरजेडी ने पूरी तैयारी कर ली है और जेडीयू -बीजेपी के कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं, लिहाजा सत्ता पक्ष भी काफी सक्रिय हो गया.
इस सक्रियता में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से ही एक विधानसभा से आने वाले बड़े नेता ने बाहुबली छवि के एक विधायक को आरजेडी से अपने पाले में मिला लिया. उन्होंने भरोसा दिया कि विधानसभा चुनाव में आपका टिकट एनडीए से फाइनल. लेकिन, नेता जी के ठीक उलट सहयोगी दल के नेता ने किसी बाहुबली को टिकट देने पर ऐतराज जताया है. मामला इस कदर उलझ गया है कि अब सरकार के मंत्री बाहुबली विधायक के क्षेत्र में जाकर बड़ी घोषणा कर रहे हैं, अपने विभाग के काम के जरिए विकास की.
बाहुबली के प्रभाव को रोकने की कोशिश हो रही है.लेकिन, इसका साइड इफेक्ट ये हो रहा है कि बाहुबली को अपने पाले में लाने वाले मंत्री जी से उनकी अब भिड़ंत हो जा रही है. कभी कैबिनेट की बैठक में तो कभी एनडीए विधायक दल की बैठक में. यानी जो लड़ाई दो मंत्रियों की दिख रही है इसके पीछे की कहानी में किरदार कोई और है.
सियासी गलियारे में कानाफूसी तो यही हो रही है कि ऊपर से बड़े नेता का हाथ अपने मंत्री पर है.इन सबके बीच बाहुबली विधायक अफसोस कर रहे हैं, इससे बढ़िया तो अपना ही दरबार था. अपना समाज और अपनी पार्टी और अपना टिकट सब पक्का था उधर !