जेडीयू ने सांसद गिरिधारी यादव को थमाया कारण बताओ नोटिस! SIR पर बयान और मनोज यादव से विवाद ने बढ़ाया सियासी तनाव. Photo Credit - Sansad TV
जेडीयू ने बांका से अपनी पार्टी के सांसद गिरिधारी यादव को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आफाक अहमद ने बांका सांसद से 15 दिन के भीतर जवाब देने को कहा है.जेडीयू की तरफ से पूछा गया है कि आपके ऊपर क्यों ना कार्रवाई की जाए? दरअसल, SIR के ऊपर पार्टी लाइन से अलग हटकर बोलने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. सूत्रों के मुताबिक, जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व गिरिधारी यादव के बयान से नाराज है. गिरिधारी यादव ने बिहार में इतने कम समय में SIR कराए जाने का विरोध किया है.
सूत्रों के मुताबिक, गिरिधारी यादव बेलहर से जेडीयू विधायक मनोज यादव के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. वह चाहते हैं कि मनोज यादव को पार्टी इस बार चुनाव मैदान में न उतारे. उनके करीबी सूत्रों का दावा है कि कई मौकों पर मनोज यादव पार्टी लाइन से अलग हटकर अपना स्टैंड लेते हैं. लिहाजा उन्हें टिकट नहीं मिलनी चाहिए. इस बारे में गिरिधारी यादव खुद कभी कुछ नहीं बोले लेकिन, उनके जुड़े सूत्र दावा कर रहे हैं कि वो अपने बेटे को इस सीट से चुनाव में उतारना चाहते हैं. अगर उनके बेटे को जेडीयू से टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय या फिर दूसरे दल से भी मैदान में उतार सकते हैं. लेकिन, वो किसी कीमत पर मनोज यादव को नहीं जीतने देने की कोशिश करेंगे. अभी हाल ही में SIR के मुद्दे पर उनका बयान इस ओर इशारा कर रहा है. इस मुद्दे पर अपनी परेशानी का हवाला देते हुए गिरिधारी यादव ने चुनाव आयोग पर सवाल खड़ा कर दिया है. लेकिन, उनकी बात विपक्ष से मेल खाती है. यही बात जेडीयू को नागवार गुजर रही है. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस थमा दिया है.
नोटिस में लिखा है, "ऐसे संवेदनशील मामले पर, खासकर चुनावी साल में, आपकी सार्वजनिक टिप्पणियों से न केवल पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़ी है, बल्कि अनजाने में विपक्ष द्वारा लगाए गए निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों को भी बल मिला है"
नोटिस में निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
पार्टी लाइन से हटने का आरोप:
नोटिस में कहा गया है कि गिरिधारी यादव ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान देकर पार्टी की आधिकारिक नीति का उल्लंघन किया। उनके बयानों को "पार्टी के लिए शर्मिंदगी का कारण" माना गया है, क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दे पर विपक्ष के "निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों" को अनजाने में विश्वसनीयता प्रदान करता है।
15 दिन में जवाब मांगा:
नोटिस में गिरिधारी यादव से 15 दिनों के भीतर लिखित जवाब देने को कहा गया है, जिसमें उन्हें यह स्पष्ट करना होगा कि उनके बयान पार्टी लाइन के खिलाफ क्यों नहीं माने जाएं और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई क्यों न की जाए।
चुनावी वर्ष में संवेदनशीलता:
नोटिस में इस बात पर जोर दिया गया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण SIR जैसे मुद्दे पर सार्वजनिक आलोचना से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है। जेडीयू ने यादव के बयानों को गैर-जिम्मेदाराना माना, क्योंकि यह विपक्ष को चुनाव आयोग पर हमला करने का मौका देता है।
विपक्ष की प्रतिक्रियाएं
विपक्ष, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस, ने यादव के बयानों का स्वागत किया और इसे अपनी रणनीति के समर्थन में इस्तेमाल किया। RJD नेता तेजस्वी यादव ने बिहार विधानसभा में SIR का मुद्दा उठाया और दावा किया कि इस प्रक्रिया के जरिए "50-80 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं।" उन्होंने SIR को बीजेपी और चुनाव आयोग की मिलीभगत करार दिया और इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। तेजस्वी ने 35 विपक्षी नेताओं को पत्र लिखकर SIR का विरोध करने का आह्वान किया और चुनाव बहिष्कार की संभावना से भी इनकार नहीं किया।
गिरिधारी यादव के SIR पर बयानों ने न केवल जेडीयू के भीतर तनाव पैदा किया है, बल्कि बिहार की राजनीति को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यादव का जवाब और जेडीयू की अगली कार्रवाई क्या होगी, और इसका बिहार के चुनावी परिदृश्य पर क्या असर पड़ेगा।