बिहार विधानसभा चुनाव 2025: महागठबंधन का घोषणा पत्र और वादों की सच्चाई

महागठबंधन 2025 में नौकरी और मुफ्त बिजली जैसे वादों के साथ आ रहा है, लेकिन 2020 के अधूरे वादे और NDA की आधी-अधूरी उपलब्धियां दिखाती हैं कि बिहार को वादों से ज्यादा अमल चाहिए

By : Bihar Talks | Posted On : 24-Oct-2025

तेजस्वी यादव पटना में राहुल गांधी और अन्य नेताओं के साथ 28 अक्टूबर को घोषणा पत्र जारी करेंगे. Image Credit - Tejashwi Yadav/X

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बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं। विपक्षी महागठबंधन 28 अक्टूबर 2025 को अपना साझा घोषणा पत्र जारी करेगा। इसमें तेजस्वी यादव की नौकरी और कल्याण योजनाएं शामिल होंगी। साथ ही कांग्रेस की मुफ्त बिजली और सस्ते गैस सिलेंडर जैसी स्कीम्स भी होंगी। लेकिन 2020 के चुनाव में किए गए बड़े वादे पूरे नहीं हुए थे। इसका असर अब भी दिख रहा है। दूसरी तरफ, सत्ताधारी एनडीए अपनी सड़कों और बिजली की उपलब्धियों पर जोर दे रही है। लेकिन नौकरियों और मुफ्त योजनाओं में वह भी पीछे है।

बिहार चुनाव 2025 की वोटिंग 6 नवंबर और 11 नवंबर को होगी। राज्य के 7.3 करोड़ मतदाता फिर से वादों पर फैसला करेंगे। बिहार की प्रति व्यक्ति आय करीब 54,000 रुपये है, जो देश के औसत का लगभग आधा है। ऐसे में रोजगार और विकास बड़े मुद्दे हैं।

महागठबंधन के नए वादे: तेजस्वी यादव की नौकरी स्कीम और महिलाओं के लिए योजनाएं

तेजस्वी यादव पटना में राहुल गांधी और अन्य नेताओं के साथ 28 अक्टूबर को घोषणा पत्र लॉन्च करेंगे। इसमें मुख्य वादे ये हैं:

  • हर घर नौकरी योजना: हर परिवार को एक सरकारी नौकरी मिलेगी, जहां कोई सरकारी कर्मचारी नहीं है। जीत के 20 दिन में "जॉब एक्ट" बनाकर इसे लागू करने का दावा है।
  • महिलाओं के लिए स्कीम्स: माई-बहिन योजना में हर महीने 2,500 रुपये। मां और बेटियों के लिए MAA और BETI योजनाएं।
  • जीविका दीदियों की मदद: स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को 2,000 रुपये महीना। संविदा कर्मचारियों को पक्की नौकरी।
  • मुफ्त बिजली और सस्ता गैस: हर घर को 200 यूनिट फ्री बिजली। गैस सिलेंडर 500 रुपये में।
  • अन्य वादे: आरक्षण बढ़ाना, OBC छात्रों के लिए हॉस्टल, बलात्कार पीड़ितों के लिए सख्त कानून, और EBC के लिए स्पेशल स्कीम्स।

सीट बंटवारे के झगड़े सुलझने के बाद तेजस्वी यादव को सीएम कैंडिडेट और मुकेश साहनी को डिप्टी सीएम चुना गया है। लेकिन सवाल है कि क्या ये वादे पूरे हो पाएंगे? बिहार का बजट पहले से ही तंग है। 10 लाख नौकरियां देने में हर साल 50,000 करोड़ रुपये लग सकते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पर बोझ पड़ेगा।

2020 के महागठबंधन वादे: कितने पूरे हुए और क्यों असफल रहे?

2020 में तेजस्वी यादव ने "जंगल राज से जंगल योजना तक" का नारा दिया था। मुख्य वादे थे:

  • 10 लाख सरकारी नौकरियां।
  • स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड से 4 लाख रुपये का लोन।
  • 10,000 रुपये न्यूनतम वेतन।
  • 5 लाख तक मुफ्त इलाज।
  • महिलाओं के लिए 35% नौकरी आरक्षण।

ये वादे युवाओं को पसंद आए। महागठबंधन ने 110 सीटें जीतीं, लेकिन एनडीए से हार गए। लेकिन क्या ये वादे मुमकिन थे? 10 लाख नौकरियां देना मुश्किल था, क्योंकि बिहार में पहले से 12 लाख सरकारी कर्मचारी थे। इतनी नौकरियां देने से खर्च 25% बढ़ जाता। बेरोजगारी दर 6.5% थी और युवाओं में 23%। कोई ठोस प्लान नहीं था। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड बाद में एनडीए ने शुरू किया, जो 15 लाख छात्रों तक पहुंचा। बाकी वादे बजट के लिए भारी थे। विश्लेषक कहते हैं कि 40% वादे छोटे स्तर पर हो सकते थे, लेकिन 60% के लिए बिहार की इकोनॉमी तैयार नहीं थी।

एनडीए के 2020 वादे: उपलब्धियां और कमियां

एनडीए ने 2020 में 19 लाख नौकरियां, 100 यूनिट मुफ्त बिजली, छात्रवृत्तियां और 400 रुपये पेंशन का वादा किया था। नीतीश कुमार के "सात निश्चय" में सड़क, शौचालय और महिला सुरक्षा शामिल थे। 2025 तक केवल 55% वादे पूरे हुए हैं।

क्या अच्छा हुआ?

  • पेंशन 200 से बढ़कर 800 रुपये हुई। 1.2 करोड़ बुजुर्गों को फायदा।
  • बिजली 99.9% घरों तक पहुंची, जो 2015 में 60% थी।
  • बालिका साइकिल योजना से 1.3 करोड़ लड़कियों को साइकिल मिली। स्कूल नामांकन 15% बढ़ा।

कहां कमी रही?

  • बिजली तो पहुंची, लेकिन गांवों में 4-6 घंटे कटौती आम है। बिलों से कोसी जैसे इलाकों में विरोध।
  • 19 लाख नौकरियों में से सिर्फ 4 लाख बनीं। 2 करोड़ लोग रोजगार के लिए बाहर गए।
  • छात्रवृत्तियों में देरी से SC/ST इलाकों में ड्रॉपआउट बढ़ा।
  • सड़कें और शौचालय बने, लेकिन MGNREGA में 1,000 करोड़ का घोटाला विश्वास तोड़ता है।
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